शम्मा में वो ताकत कहाँ जो परवाने में हैं, लुत्फ जलने में नहीं जल जल के मर जाने में है तो अगर आपको मौका मिले तो आप क्या चाहेंगे? क्या आप किसी को अपना शम्मा मान के उसके लिए परवाना बनना चाहेंगे? या खुद को शमा मानकर किसी को अपना परवाना बनाना चाहेंगे? बताइएगा जरूर।