संताल की रानी श्रीमती लाषन कुमारी के प्रयासों से इस साल 1960 में खोला गया था। शुरु में तो यहाँ सब कुछ ठीक था लेकिन सिर्फ 7 सालों के बाद सब कुछ बदल गया। 1 रात करीब ढाई बजे स्टेशन पर काम कर रहे 1 रेलवे कर्मचारी को रेलवे ट्रैक्स पर चल रही 1 औरत दिखाई दी। जो विचित्र तरीके से चल रही थी। और बीच बीच में किसी जंगली जानवर की तर वह गुर्रा रही थी। और जब वो रेलवे कर्मचारी उस औरत के पास गया तो उसका चेहरा देख कर फौरन ही बेहोश हो गया।