Dr Mohan M
@drmohan · 2:11
यात्रा और यात्री ...मुसाफिर ..हिंदी पंक्तिया __रचयिता कवि कौन है शेयर करे _हो सके तो अगली पंक्तिया जोड़िए
मुसाफिर। सांस। चलती है। तुझे। चलना। पड़ेगा ही मुसाफिर। सो। गाइज। किस कवि की रचना है? ये। आप बोल सकते हो। और पसे हुआ तो नेक्स्ट पंक्तिया रिप्लाई में भी दे सकते हो? व ग्रेड? हेड? गुड? बाइ?
shilpee bhalla
@Shilpi-Bhalla · 0:21
ह**ो गुड ईवनिंग मोहन जी ये श्री हरवंश राय बच्चन जी की कविता है मुसाफिर और उसकी अपने पंक्तियां गाई हैं और कविता पूरी की पूरी बहुत खूबसूरत है और इन पंक्तियों को शेयर करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया और शानी जी थैंक यू मुझे स्वेल को मुझे इन्वाइट करने के लिए आपका भी बहुत बहुत शुक्रिया।
Dr Mohan M
@drmohan · 0:24
sorry for the lattiplamambut your ansar is correct hopfuलyआपइसके सामने पंक्तियां बोलती pंtioंejudrpom complet asan thanks।
shilpee bhalla
@Shilpi-Bhalla · 0:32
ह**ो जी मोहन जी मैं आपको आगे की पंक्तियां जरूर सुनाना चाहूंगी थी जहाँ पर गत पैरों को जमाना ही पड़ा था पत्थरों से पाप के छाले चलाना ही पड़ा था गास मखमसे जहां थी मन गया था लोट सहसा थी गनी छाया जहाँ पर तन जुड़ना ही पड़ा था पग परीक्षा पक प्रलोभन जोर कमजोरी भरा तू इस तरह घटना उधर डलना पड़ेगा ही मुसाफी सांस चलती है तुझे चलना पड़ेगा ही मुसाफी।