मैं और मेरी कलमजब मैं अपनी कलम से, लिखती दिल का हाल। लगता जैसे करती, खुद अपने से बात। संबंध ही है ऐसा, मैं और मेरी कलम का। सुख मे खुशी को बांटे, दुःख मे हिम्मत बढ़ावे। हम तुम मिलकर क्यू ना हौसला बढ़ाये, हर ल
कोई महिला आगे बढ़ जाए, किसी की। हम भी प्रेरणा बन जाए, जिसे पढ़कर। फिर? कोई आगे बढ़ जाए, किसी की ए। हम भी प्रेरणा बन जाए। चलो आज कुछ ऐसा लिख जाए, चलो आज कुछ ऐसा लिख जाए। मैं। और मेरी कलम। जब मैं अपनी कलम से लिखती दिल का हाल। थैंक? यू।
हर रंग अपने आप फीका पड़ जाता है। हर रंग अपने आप फीका पड़ जाता है। लिखने से। हम खुद से जुड़ा महसूस करते करते हैं? हैं? अपने 8 बया को? अपनी लिखाई से। हम कैद करते हैं? कविता? 1। सार है? अपने विचारों को दूसरे तक पहुँचाने का? ये खूबसूरत? सा आधार? अपने अनसुने, अनकहे शब्दों को पिरोना के लिए। यह अच्छा माध्यम है। वो क्या? है? न? खुद से मिलने का ये लाजवाब तरीका है? हां? खुद से मिलने का यह अलग ही तरीका है? धन्यवाद।
Jagreeti sharma
@voicequeen · 0:59
लिखने से पहले हमे इस चीज पर जरूर सोचना चाहिए कि हम जो लिख रहे हैं उसे सामने वाला क्या सिप पाएगा? अगर ये हम सोचे लिखेंगे तो हम दूसरों को प्रेरित कर। पाएंगे। बहुत अच्छा लिखते हैं। लिखते रहिएगा धन्यवाद।