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1 आज के समाज में, की सेंचुरी में, किस दी में, हम लोग क्या अभी भी पुरानी? मानसिकता से ग्रसित? जहाँ इंसान इंसान में भेद करता हो? हम जब ये कहते हैं कि हम लोग आधुनिक हो रहे हैं, ये भारत, हमारा दुनिया के सामने अलग छाप छोड़ रहा है? आज हमारे देश का कितना नाम हो रहा है? हर जगह में? चाहे वो खेल जगत पर हो? चाहे वो मतलब हर फिल्म। लेकिन कहीं न कहीं यह 1 कलंक कभी भी हमारे गिरेबान में लगा हुआ है?
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 0:36
आपकी पोयटरी बहुत ही खूबसूरत थी पंकज जी और इस पोयट्री में आपने सच में जो चीजें रियलिटी में हैं उन्हें ही एड किया है यह बहुत ही खूबसूरत बात है और आपने ये बात सही कही कि सच में ये जो सपने हम देखते हैं न हमें उसे कैटेगरी के अकॉर्डिंग देखने के लिए मजबूर कर दिया गया है हम वो सपने नहीं देख और उन्हें पूरा नहीं कर सकते जो हम चाहते हैं कभी कभी हमें सपने अपने दायरे में देखना चाहिए ऐसा लोग सिखाते हैं मुझे लगता है कि इसका शीर्षक होना चाहिए सपनों के दायरे ये मेरे हिसाब से होना चाहिए थैंक यू।
Pankaj Kumar
@Pankaj9211 · 4:02
जैसे मैं आपको एग्जांपल दे रहा हूँ रूरल गांवों में। क्योंकि एजुकेशन बहुत अच्छा नहीं है। तो गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने बहुत इनिशियटिव सलिए। बहुत सारे प्रोग्राम चल स्कूल में? बच्चों को लाने के लिए। और आपको पता है ये अनटेटिबिलिटीऔर डिस्क्रिनेशन? इतना बड़ा सेटबैक रहा? गवर्नमेंट के लिए भी? बहुत मुश्किल ने उठाया इससे पार पाने के लिए। ऐसा एग्जाम्पल है कि बड़े जात के आदमी लोग अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते थे? क्योंकि स्कूल मे छोटे जात के बच्चे भी पढ़ने जाए। उनको यह बर्दाश्त नहीं था।
shilpee bhalla
@Shilpi-Bhalla · 2:09
हेलो पंकित जी मुझे रिक्वेस्ट करना है की जब भी आप पोस्ट डाले तो 1 बार उसका साउंड जरूर चेक करिए करें की साउंड प्रॉपर है। आपकी। कविता बहुत बहुत अच्छी थी। लेकिन आज आपकी आवाज इतनी लो है कि उसको बिल्कुल बहुत मैंने। बहुत ध्या। इसको सुनाए तभी मुझे सुनाई दे पाई है। तो प्लीज आप। फर्दर जब भी पोस्ट डाले तो 1 बार साउंड चेक कर ले। चलिए। अब कविता की बात करते हैं। आपने? 1 अंटर्चिबिलिटी वाला टॉपिक उठाया। और ये बिल्कुल। मुझे। जहाँ तक मेरा व्यूज है।
Pankaj Kumar
@Pankaj9211 · 0:58
बेहद माफी चाहूँगा सेल्फी में ऐक्चवली मेरे माइक्रोफोन कुछ इशू है मेरा फोन थोड़ा सा खराब हो रखा है ब* मैं कोशिश करूँगा कि इसको जल्दी रिजर्व कर पाऊं मेरे दूसरे और थोड़ा हेडफोन में कुछ दिक्कतें आ रही थी मैं जल्दी ही इस पर काम कर रहा इसको ठीक करने की कोशिश करूँगा एंड वन्स अगेन आम सो सो सो मच थैंक क्यूँ कि आप इतना बढ़िया रेस्पोंस दे रही है मेरे सारे और पोडकास्ट में और इतना मेरा हौसला अफजाई कर रहे हैं आप न सिर्फ 1 बेहतरीन टैलेंट की धनी अपितु बहुत बढ़िया और साग इंसान भी है मेरी खुशनसीबी है कि आप जैसे गुड लिस्नर्स मेरे पोडकास्ट में जुड़ रहे हैं इस ऑनर तो बी पार्ट ऑफ यू फ्रेंड ग्रुप थैंक यू।
Pankaj Kumar
@Pankaj9211 · 0:31
ह**ो प्रिया जी बहुत उम्दा आपका सजेशन है शिक्षक पोयम का सपना के धयरयमडुपिंगफॉरवोड की मैं इसको ऐड कर दूँ अपने पोयम के ऊपर शिक्षक बहुत सुन्दर है मैं उम्मीद करूंगा कि मेरे आने वाले पोडकास्ट में भी आप सागता दिखाएंगे थैंक यू वन सेवन।
Neelam Singh
@NEELAM · 0:43
पंकित जी पिछडे वर्ग में आज भी ये सब है गांव में ये चीजें आज भी हैं हां शहरों में काफी हद तक क* है पर पूरी तरह से तो अब यह खत्म नहीं हुआ है क्योंकि कुछ परिवार आज भी धर पीडी विरासत में ये चीज अपने परिवार को दे रहे हैं कि छुआछूत करो काफी बच्चे नहीं कर रहे हैं लेकिन कुछ लोग अभी भी इसपर कायम है और आपकी कहानी का सौरी आपकी कविता का शीर्षक मैं कहूंगी बदलाव की आस।
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