Kunal Jain
@sonofindia · 3:30
इश्क़ उस जमाने का जब वो सिर्फ़ इक्ष्क ही था ।
इश्क क्या है इसकी भाषा हर वक्त में बदलती है हमारे पिताजी जब शाम को घर आते थे कभी कभी माताजी के लिए 2 समोसे लेकर आते थे और के कहते थे जल्दी से चाय बनाओ ताकि गर्म गर्म समोसों का आनंद तुम भी ले सको, जल्दी से चाय बनाओ ताकि गर्म गर्म समोसों का आनंद तुम भी ले सको वो इश्क था, वो इश्क था ये बात वो जमाना था, जब सेलुलर फोन नहीं होता था माताजी को पता होता था वो किस वक्त घर आएंगे माता जी को पता होता था वो किस वक्त घर आएंगे चाय का पानी उनके आने से पहले चूल्हे पर चढ़ा होता था था वो इश्क था, वो इश्क था सुबह सुबह जब बिना कहे माता जी नाश्ता टेबल पर लगा देती थी तो पिताजी का सिर्फ इतना कहना कि पराठे बहुत जोरदार हैं वो इश्क था, वो इश्क था 1 दूसरे की जरूरतों को बिना कहे ही समझ लेना वो इश्क था माताजी शायद ज्यादा पढ़ी लिखी न हो मगर समझदारी कूट कूट के भरी थी कभी कभी जब गुस्सा हो जाती थी तो अपनी बात खाना बनाते वक्त बोल देती थी पिताजी खाने की तारीफ करते करते उनका गुस्सा भी पी जाते थे वो इश्क था, वो इश्क था हाथ धोने के बाद सिर्फ इतना कहते थे कि आज शाम को अग्रवाल साहब के बच्चे की शादी है चलोगी बस इतना कहना था कि बाकी का बचा कुचा गुस्सा भी गायब वो इश्क था, वो इश्क था शाम की शादी के लिए तैयार होने की खुशी में पूरा दिन अच्छे से गुजर जाता था पिता जी फटाफट तैयार हो के बाहर आ कर खड़े हो जाते और आवाज लगाते थे कब आओगी बहुत देर हो गई है वो इंतज़ार इश्क था, वो इंतज़ार इश्क था जब तक माता जी तैयार हो के बाहर आ कर स्कूटर पर बैठते पिताजी का गुस्सा भी शांत हो जाता था वो बस उन्हें 1 पल निहारते थे माताजी के लिए वो 1 पल इश्क था, वो 1 पल इश्क था माता जी भी हक से उन्हें कमर से पकड़कर पीछे बैठती पिता जी संभल संभल के स्कूटर कूट चलाते यहाँ वहाँ गड्ढों से बचाते हुए करीने से शादी में पहुँचते वो इश्क था, वो इश्क था ये उस जमाने का इश्क था साहब तो आज रात को बस इतना ही कहना था कल सुबह फिर मिलेंगे कल फिर कोई और बात करेंगे थैंक यू वेरी मच।
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 0:21
वाह आपने जिस तरीके से लव को एक्सप्लेन किया है यह बहुत ही खूबसूरत है। एंड आपने जो 1 स्टोरी टाइप रखी है जहां पर 1 फैमिली का कनेक्शन है और इमोशंस हैं बहुत ही अच्छा है। it was so nice to her ke posting like this thank you।
Swell Team
@Swell · 0:15
Kunal Jain
@sonofindia · 0:39
प्रिया जी की जो आपने जो सराहा है उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद और अच्छा है लिखते पढ़ते लिखने पढ़ते लिखते रहने से थोड़ा विज्डम क्रिएट होती रहती है बाकी तो शब्दों का खेल है अच्छा किया आपने पढ़ा बहुत बहुत धन्यवाद उसके लिए मैंने शायद आपकी 1 कविता भी पढ़ी थी मैंने उसको लाइक भी करी है और हो सकता है मैंने कुछ स्वर भी किया हो उसके लिए तो आप बहुत अच्छा लिखती है लिखते रहे और लिखना चाहिए थैंक यू वेरी मच यहाँ बने रहिये आप से बातचीत होती रहेगी।