स्त्री की आज़ादी के नाम पर आज भी कितनी अजीब सोच है। कही पर आज़ादी के नाम पर संस्कार और मर्यादा किनारे रख दी जाती है ।और कहते है हम आज़ाद है, कुछ भी कर सकते है, तुमसे कोई मतलब?पर आजादी का मतलब ये भी नही
अपने लेखन कार्य के शुरुआत में लिखी गई ये कविता मुझे अत्यंत ही प्रिय है । उम्मीद है ,"पतंग की तरह" शीर्षक से लिखी गई ये कविता सभी को पसंद आएगी । #poetsofswell#collegevoiceindia#poetry