Meri is safed wardi par daag bahut hai
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मरीज की चोट पर। मलहम लगाती। है। हूँ मैं। पर। मेरी रू पर। चोट के। निशान। बहुत हैं। मेरी इस सफेद वर्दी। पर। दाग बहुत है। जिम का तो पता नहीं। पर इल्जाम बहुत है। धन्यवाद।
यानि कि समाज सेवा का भाव? हो? न? यह बड़ी बात है। यह कोरुना से पहले भी और कोरुना के बाद भी। और हमेशा आप लोगों के बिना कोई काम हो ही नहीं सकता। तो मैं आपके लिए कुछ लाइन बोलना चाहूंगी। मैंने लिखी है ये मेरी 1 सोच है। इस उम्र में। आकर। मैंने ये जाना है? कोई किसी का? नहीं? खुद से। ये जमाना है। हौसला बढ़ाकर? आगे कदम बढ़ाना है? मंजिल तक जाना है? फिर तेरे कदमों के तले?
Prabha Iyer
@PSPV · 2:32
औरत तो फिर भी महिला। तो फिर भी भगवान के रूप माने जाते हैं। और अगर नर्स के पुष्ट पेशा करें तो फिर अपने घर को संभालना अपने बच्चों को संभालना? ऊपर से जो जख्मे हैं। जो अस्पताल में भर्ती है। चाहे 1 दिन के लिए? चाहे 2 घंटे के लिए? चाहे दिनों महीनों के लिए? सालों के लिए। उनकी भी। तो देखभाल करनी। पड़ती है? है। फिर उनको अपना देखभाल करने का समय कब मिलता है? कभी कभी? हम 1 बार भी यह सोचे है? क्या?
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