फकत मेरे रू का कजा समझ जाना। बेमिसाल तेरे नाम का। इत्र। नायाब होता जाता है। तो गुलाबी होती जाती है। और मसला होता जाता है। बेहाल तेरी निगाहों से। मेरा रू खवास होता जाता है। और मुझे तो से बेइंतहा होता जाता है? कतरा? मेरे अक्स का नायाब बनता गया? तुझे? शुरू नहीं? जमाने का? तू थोड़ा? दूर होता गया? कसूर? तेरी नज़र का है? दीवाना? मुझे? करता गया? गुना मैंने? किया? नहीं? और गुनेगार बनता गया। गुनेगल बनता गया?