Neelam Singh
@NEELAM · 4:50
Kahani -: वो धंधे वाली,
क्योंकि रात काफी हो चुकी थी। और मेरे साथ ही की सीट पर 1 महिला बैठी थी। जो कि 30 पैं30 साल की रही होगी। पर मुझे उससे कोई मतलब न था। मैं तो अपने माता पिता के सपनों को पूरा करने की जुगाड़ में लगा रहा। कि किस तरह उनको क्या क्या? खरीद कर लाऊँगा? पर मैंने देखा उस महिला का कंधा मेरे कंधे से बहुत सट रहा था? जिसने मेरी सोचने की तंद्रा को भगत किया। भंग किया? जो कि मैंने देखा कि मेरा कंधा उससे बहुत सट रहा है? जो कि 1 सभ्य व्यक्ति होने के नाते। मुझे अच्छा नहीं लग रहा था।
shilpee bhalla
@Shilpi-Bhalla · 0:11
नमस्कार? नीलम जी। कहानी बहुत अच्छी है। और मुझे इसके दूसरे भाग का बड़े दिल से इंतेज़ार रहेगा। आप जल्दी से दूसरा भाग मिस का पोस्ट कर दीजिये।
Neelam Singh
@NEELAM · 0:16
हेलो? शिल्पी जी। आपको कहानी अच्छी लग रही है। इसके लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। और इस कहानी का दूसरा और तीसरा और आखिरी भाग भी प्रकाशित मैंने कर दिया है। आप स्वेल पर सुन सकते हैं। धन्यवाद।