व्यर्थ जिंदगी की। खूबसूरती को। पहचानो। जिंदगी की। खूबसूरती को। पहचानो। ना? यूं, रो, रो, कर, दिन, गुजारो, फूलों की। सेज। तो जिंदगी, भगवान की भी न हुई। कभी राम सीता से बिछडे। कहीं? देव की मां, कृष्ण के वियोग में। रोई, पर। फिर भी शहरी जीते रहे, फिर भी शहरी जीते रहे। हर 1 दुख, बुलाकर, अर्जुन का साथ, निभाते रहे, सही? राह बताकर।