@nanda9raj
Rajesh Nanda
@nanda9raj · 0:53

कभी बंद आँखो से सोचता हूँ

article image placeholderUploaded by @nanda9raj
फिर? बंद आंखों से सोचता हूँ? अब शाम है? तो क्या? मेरे हिस्से में। दोपहर की धूप भी तो थी? कभी? बंदाँखों से? सोचता हूँ? ख्वाहिशों की तस्वीर बनाता हूँ? मिटाता हूँ? धन्यवाद।

#shayari #कविता

@voicequeen
Jagreeti sharma
@voicequeen · 0:26
वाह। बहुत खूब। जिंदगी की हकीकत को बया करती हुई। बंद। आंखों से तस्वीर बनाता हूँ? कभी मिटाता हूं? आपकी लाइन? सुनकर? 2 लाइन? याद आती है? धूप। छांव जिंदगी के अहम? पड़ाव। आप। बहुत अच्छा लिखते हैं। लिखते रहिएगा धन्यवाद।
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