@Mann-mannse
Mann se
@Mann-mannse · 2:08

मेरी ज़िंदगी जैसे किसी मंदिर की चौखट है

hello frends 1 कविता गजल जो भी पता नहीं बस कुछ शब्द कुछ ख्याल है जो समेटे हैं इसको एग्जैकटली को टेक्निकल नाम देना गलत हो जाएगा बिकज हर बयार या बहर में तो नहीं होगी सेट भी कट कॉलेट गजल तो नज्म या कविता कह सकते हैं बस कुछ मन की बातें हैं मेरी जिंदगी जैसे किसी मंदिर की चौखट है इट्स द टाइटल इतनी पाक नहीं कि अंदर जा सके इतनी काफिर भी नहीं के दर को भुला सके सचते दिल की चाहत है और दूरी मेरी किस्मत है मेरी जिंदगी जैसे किसी मंदिर की चौखट है जो लौटने को मुंह घुमा लो तो अदावत है जो लड़खड़ा कर कदम बढ़ जाए तो शिकायत है कुछ समझ में न आए पढ़िए जब मेरे खुदा की आदत है मेरी जिंदगी जैसे किसी मंदिर की चौखट है अंत कब होगा उसका जिसका आदि हो गया कब ढलेगी वो शाम सवाल बाकी रह गया ह रातों को उठने की रस्म अब भी अदालत है मेरी जिंदगी जैसे किसी मंदिर की चौखट है मन करता है कि मन न करे मन करता है कि मन न करे पर मन है कि मानता नहीं क्या करें विवाद अपनी जगह हैं सम आज अपनी जगह हैं क्या करना ये कह कर तुझे मन न छोडे जिसे तू वो इबादत है मन न छोडे जिसे तू वो इबादत है मेरी जिंदगी जैसे किसी मंदिर की चौखट है आपको कैसी लगी प्लीज बताइएगा।

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