आदाब आप सब दोस्तों के लिए 1 शेर यूँ ही जहन में आया तो मैंने कहा मतलब शेर पेश कर दू की माज़ी में खुलने वाले हर बाप से लिपटी रहती है माज़ी में खुलने वाले हर बाप से लिपटी रहती है जाने वालों की यादें बाब से लिपटी रहती है माजी में खुलने वाले हर बाब से लिपटी रहती है जाने वालों की असबाब से लिपटी रहती हैं और कभी कभी कुछ ऐसे दिलकश मंजर दिखते हैं शब भर कभी कभी कुछ ऐसे दिलकश मंजर दिखते हैं शब भर नींद भी खुल जाए तो आँखें खाब से लिपटी रहती है बहुत शुक्रिया।
Irshad Ali
@Irshad · 0:10
वाह मनीष भाई वाह बहुत खूब इस कोरोना के दौर में आपके शेर किसी कोरामीन से क* नहीं है।