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लेकिन वो सारी चीजों को अचीव करने के लिए। आपको सबसे पहले वो सारी चीजों के बारे में सोचना शुरू करना पड़ेगा। क्यूंकि आपने भी शायद बहुत बार सुना होगा कि कोई भी चीज बनने से पहले वो 3 बार बनती है? सबसे पहले दिमाग में ऑन द सेकेंड टाइम पेपर पे? थर्ड टाइम रियलिटी में राइट। तो दोस्तों अगर हम बड़ा सोचेंगे नहीं? तो शायद हम बड़ा हासिल नहीं कर पाएंगे? राइट? तो सबसे पहली बात हम जो मिडल क्लास वाले लोग हैं हमें बड़ा सोचना शुरू करना पड़ेगा। जिसके कारण हम लोगों को आगे बड़ा सोचने के लिए मजबूर भी कर पाएंगे। लेकिन हां हमें किसी की सोच पर अगर कोई बड़ा सोचता है?
Aishani Chatterjee
@Aishani · 1:49
अगर कोई बड़ा सोच रहा है तो उससे हंसी मजाक न करके उस चीज को समझ के खुद की भी थॉट प्रोसेस। उस इंसान से सीख के चेंज करना। उस इंसान से इन स् होके। खुद भी इनोवेशंस की ओर। बढ़ना। ई थिंक? दैट इज डेफिनिटली। द वे टु? गो? बिकज। ऑंट्रपरनाज इंडिया में अभी तक कम ही है। अभी तक इंडिया में उतने ऑंट्रीप्रन्यस नहीं हैं जितने होने चाहिए। उसके बहुत कारण हैं। इकॉनॉमिकल बैकगराउंड। आई थिंक। 1? जो चीज सबस ज्यादा इम्पोर्टेंट है? इस यू? नो? नदेसर? गार्ड?
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