the members of the swelcast? 1 ताजा नजम के साथ? फिर आपसे। mukातेभosmाजii? मैंने? खुद को समझाई है? चंद बातें। मैंने खुद को समझाई हैं? चंद बातें कि शेर लिखूं? अजल लिखूं? चाहे लिखो तुम। पर। नजमे, जितनी कि शेर लिखूं? अजल लिखूं? चाहे लिखो तुम। पे। नजमे, जितनी, मैं। अब तुम्हें। कोई। हर्फ भेजने से बाज़। आऊं। मैं तुम्हें। अब। कोई। हर्फ़ भेजने से बाज़।
Kunal Jain
@sonofindia · 1:02
जया जी। आपकी कविताएँ मैंने। पढ़ी काफी उदासी है। आपकी कविताओं में लिखते तो आप क*ाल है। और आपकी डिलीवरी भी बहुत अच्छी है। लेकिन कविताएं बड़ी मार्मिक है। बड़ी सी से भरी हुई है तो काफी कनेक्ट होती है। जीवन में। यह तो बात सच है। तो मैं तो यही कहूँगा की। और अच्छी अच्छी कविताएं लिखें और थोडे खुशी वाली कविताएँ भी 24 लिख दें तो अच्छा रहेगा। और हम पढेंगे उसको हम सुनेंगे। ब*। आपकी डिलीवरी क*ाल की है। सभी कविताओं में। लगता है कि आप बिल्कुल?
Urmila Verma
@urmi · 0:58
जया जी। आपकी नज्म सुनी। बेहद। खूबसूरत। बहुत अच्छी लगी। आपका। बोलने का तरीका। आपका। प्रस्तुतिकरण। बेहद। आकर्षक था। मन बार बार सुने। और इसमें डूब जाएं। वो जो। इसमें 1 दर्द भी। मिला। कहीं छिपा हुआ? और बहुत कुछ। कहना चाह रही है। जो हम समझ पा रहे हैं। कुछ लब्स चुक। अनकहे रह के वो भी समझ में आ रहे हैं। इतनी अच्छी? नज्म हैं। आपकी? बहुत अच्छी लगी। बहुत जितनी तारीफ की जाए उतनी क* है। धन्यवाद।
Swell Team
@Swell · 0:15
Arun Khevariya
@KHEVARIYA · 0:51
जया जी। सबसे पहले तो मैं शुक्रिया अदा करना चाहूँगा। सेल टीम का जिसके जरिए मुझे आपकी गजलों से रुबरु होने का मौका मिला। और आपकी नज्मों को सुनने के बाद यकीन हो गया की निश्चित तौर पर आप 1 अच्छे डॉक्टर होने का के साथ साथ 1 बेहतरीन शायरा भी है। जहाँ 1 और आप मरीज की बेहतरी के लिए नश्तर चलाना भी जानती है। तो वही दूसरी और हमारे जजबातों में लगे हुए नस्तर की टीस को अपनी गजल अपनी नजम के जरिए जताना भी जानती है। आप इसी तरह से अपनी नज्मों को लिखते रहिये। अपनी गजलों को लिखते रहिये।
बहुत खूबसूर दिल का हाल जिस तरह बयान किया। tsegavtobhutha wo? हम नहीं मिल पा रही? शायद? यही 1 जरिया है उन गांवों को कुछ आराम देने का। जानता नहीं कि आपकी जिंदगी में क्या है? लेकिन शेर लिखने के अंदाज में। बहुत दर्द छुपा है। लगता है जैसे बिना दर्द के शेर लिखा ही नहीं जा सकता। या कोई नज्म नहीं लिखी जा सकती। यह बात को मैं समझ सकता हूँ। पनपते है? अपने ही अंदर। जब वो शब्द। जो 1। कविता 1। नज्म बन के बाहर निकलते हैं।