जॉन एलिया का 1 शेर पेश है बेदिली क्या युं ही दिन गुजर जाएंगे बेदिली क्या यूं ही दिन गुजर जाएंगे सिर्फ जिंदा रहे हम तो मर जाएंगे।
Irshad Ali
@Irshad · 0:14
कोई तो जुर्म था जिसमें सभी मुलव्विस थे कोई तो जुर्म था जिसमें सभी मुलव्विस थे तभी तो हर शख्स मुंछुपाए फिरता है।
Irshad Ali
@Irshad · 0:15
श में हयात बुझने का अफसोस क्या फराज शम हयात बुझने का अफसोस क्या फराज अब तक जली तो कौन बहुत रोशनी हुई।
Irshad Ali
@Irshad · 0:13
मैं बहरहाल उसी हल्के जंजीर में हूं मैं बहरहाल उस हलके जंजीर में हूं यूं तो आजाद कई बार किया है उसने।
Aisha Ayub
@AishaAyub · 0:17
तुम्हारी खुशनसीबी है कि तुम समझे नहीं अब तक तुम्हारी खुशनसीबी है कि तुम समझे नहीं अब तक अकेले पन में और तन्हाई में जो फर्क होता है।
Irshad Ali
@Irshad · 0:21
वाह आशा जी बहुत खूब बहुत अच्छा शेर है इससे याद आ गया है खुशबीर सिंह शाद का शेर है लोग तनहाई के एहसास से डर जाते हैं लोग तनहाई के अहसास से डर जाते हैं वरना तनहाई से बढ़ कर कोई महफिल है क्या?
Aisha Ayub
@AishaAyub · 0:23
बहुत शुक्रिया रशाद साहब आपको शेर पसंद आया मेरा 1 रहमान फारी साहब का शेर पढ़ा मैंने आज के इश्क में काम नहीं जोर जबरदस्ती का इश्क में काम नहीं जोर जबरदस्ती का जब भी तुम चाहो जुदा होना, जुदा हो जाना।
Irshad Ali
@Irshad · 0:18
आज मैंने भी 1 शेर पढ़ा सोचा शेयर करूं यहाँ मौत के फरिश्तों जरा दम तो लो कि हम मौत के फरिश्तों जरा दम तो लो कि हम कह कह के थक गए हैं खुदा मगफरत करें।