@HemaSinha1978
Hema Sinha
@HemaSinha1978 · 2:27

किताबी ज्ञान

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बुरे का भेद। हमें यह बताती है। हर अज्ञान रूपी। अंधकार को दूर। यह करती है। आखिर? क्यों? किताब जलाती ही ज्ञान की ज्योति है? पर? देखिए? दोस्तों समय का फेर। कैसा? अब होने लगी है? किताबों से? चोरी? जहां पहले मेज पर हर वक्त खुली रहती थी। किताबें। लोगों को तरह तरह का ज्ञान मिलता था? किताबों से। देश के कोने, कोने की खबर मिलती थी। किताबों से। अब वह जगह सजा रहता है? कंप्यूटर?

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@kahanibaaz

@HemaSinha1978

हाई? हेमाजी मरीशवादकररहा हूँ। मैंने ये रचना सुनी काफी दिलचस्प है। आपने बताया कि किताबों से लेकर डिजिटल इंडिया तक हमने सफर कैसे किया? काफी अच्छा लगा। सुन कर के। क्या आपने? पहले तो किताबों का महत्व बताया? उसके बाद आप फिर ये बताया कि मतलब जिन मेज पे। कभी किताबें रखी होती थी? वहाँ पर। आजकल कंप्यूटर रखे होते है? जो ज्ञान हमें किताबों से मिल जाता है? जो फीलिंग जो 1 फीलिंग आती थी। किताबों से ज्ञान लेकर के किताबों में थोड़ा टाइम स्पेंड करना वो सारी चीजें खत्म हो चुकी है। तो आपने बहुत अच्छी तरीके से समझाया है? बताया है?
@HemaSinha1978
Hema Sinha
@HemaSinha1978 · 0:11

@Manu1989

नमस्कार। मनीष जी। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। मेरी कविता सुनने के लिए, समझने के लिए और वे प्राय करने के लिए। थैंक यू सो मच।
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