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हेलो? एवरीवन। मैं। आज स्वेल में आई हूं। अपनी 1 नई कविता के साथ। चाय तुम्हारी। हमारी। तुम्हारी। हमारी चाय। बडी। स्वाद वाली थी। बनी थी। वो। हम दोनों के जस बातों के मसाले से मिले थे। जब तुम पहली बार प्रपोज करने वाला पानी तुमने उबाला था। कभी ना? नुकुर, कभी गुस्सा। और कभी दिल में। हां। होटों। पर ना कहने का मसाला। मैंने। उसमें। मिलाया था। अपनी मीठी मीठी बातों की। शक्कर। तुमने। उसमें जो गोली थी, उन तारीफों भरी।
मनीष श्रीवास्तव
@kahanibaaz · 0:37
हेलो माजीग्राूमनीशबात रहा हू। से आपने चाय को 1 रिलेशन से जोड़ा है? हर 1 पहलू किस तरीके से 1 रिलेशन से जुड़ा है? बहुत अच्छा लगा। सुनकर के। जिस तरीके से आपने उसको बयान किया है? अद्वतीय है। वो। बहुत बहुत सराहना करते हैं। आपका। और लिखते रहिये। और ढेर सारी शुभकामनाएं। धन्यवाद।
Urmila Verma
@urmi · 1:53
हेमा जी। आपकी कविता सुनी। चाय। तुम्हारी हमारी बेहद। खूबसूरत। बेहद। रोचक। बहुत गर्माहट और मिठास ली हुई है। आपकी कविता है। इसमें। आपने चाय के परिप्रेक्ष में पूरे। आपसी संबंध और पारिवारिक संबंधों को बयां किया है। कि किस तरह से प्रपोज हुआ? आपका? अपने पति के साथ? जब? तो? किस तरह से चाय की? कर्म? प्याली के साथ? गर्मजोशी के साथ? और संबंधों की शुरुआत हुई? उसमें। किस तरह से मिठास? आगे बढ़ी?
Hema Sinha
@HemaSinha1978 · 0:16
गुड। मॉर्निंग। उर्मिला जी। बहुत बहुत धन्यवाद। आपका। मेरी कविता सुनने के लिए, समझने के लिए और उसके बारे में कुछ कहने के लिए। बहुत अच्छा लगा। सुन के धन्यवाद।
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