@Heart_sayer
Muskan Bothra
@Heart_sayer · 2:26

नेकी में भी खामियां ???

नमस्कार? दोस्तों? तो आज आपके सामने। प्रस्तुत है। निकी में भी? खामियां। कभी सुना है? चलो? देखते हैं कि मेरी कविता आज क्या कहना चाह रही है? इस शीर्षक पर? तो गौर, फरमाइएगा? कुछ भी बहुत ज्यादा हानिकारक बन जाता है। आश्चर्य की बात है कि दयालुता भी हानिकारक हो सकती है। वो। कहते हैं न भलाई का जमाना ही नहीं रहा। यह। 1 ही तो स्वभाव था? जो हर 1 को लुभाता था। छोटा हो या बड़ा। अंधे? बहरे? और गूंगे। तक को भी चपेट में ले लिया था।

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@HumaAnsariwrite
Huma Ansari
@HumaAnsariwrite · 0:50
जी? बिल्कुल। सही? कहा आपने। और आपकी। कविता। बहुत अच्छी लगी। आज कल का ज़माना ऐसा ही हो गया है? अच्छा करो तो लोग उसमें भी बुराई ढूंढते हैं? क्योंकि शायद अच्छे लोग बहुत क* बचे हैं। लेकिन जो अच्छे हैं अपनी अच्छाई नहीं छोड़ सकते। और वो नेकी करते रहेंगे? भले? उनका जमाना कुछ भी कहे? वो नहीं? बदलने वाले। और अगर नेकी के बदले। आप कुछ चाहते ही हैं? तो बंदों से मत? एक्स्पेक्ट करें? बल्कि खुदा से एक्सपेक्ट करें। आप? अच्छा करेंगे तो आपको उसका फल कहीं न?
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Swell user mugshot
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