नमस्कार आज मैं आपको अपनी कविता सुनाने जा रही हूँ माँ अभी बच्ची ही हूँ मैं, इस पक्के समाज में कच्ची ही हूँ मैं माँ अभी बच्ची ही हूँ मैं मुझको अकेला मत छोड़ देना माँ मुझको अकेला मत छोड़ देना माँ सिर्फ 1 तेरे लिए ही तो सच्ची हूँ मैं, यह जमाना तो बेटियों को दुर काटता है यह जमाना तो बेटियों को दूरकरता है पर माँ तेरे लिए ही तो हूँ पूरी दुनिया हूँ मैं तू ही है जिसने पाल पोस कर बड़ा किया है तू ही है जिसने पाल पोस कर बड़ा किया है पिता का साया न रहा हो भले पिता का साया न रहा हो भले पर तू ने निभाया है मेरे सामने तुमने कितनों के लिए मजदूरी की मेरे सामने तुमने कितनो के लिए मजदूरी की खुद वर्थ के नाम पर खुद वर्थ के नाम पर भूखी तो न जाने कब तक रही बस अब और नहीं माँ बस अब और नहीं मां मैं अब तुझे कष्ट नहीं दूंगी मैं अब तुझे कष्ट नहीं दूंगी बस तू खुश रहना अब से बस तू खुश रहना अब से तेरे सारे काम मैं करूंगी तेरे सारे काम मैं करुँगी तेरे सारे दुखों का करूंगी अब मैं माँ तेरे चरणों के सुखों को निछावर करुंगी मैं माँ तेरे चरणों में सुखों को निछावर करुंगी मैं मा माँ अभी बच्ची ही हूँ मैं माँ अभी बच्ची ही हूँ मैं, इस पक्के समाज में कच्ची ही हूँ मैं, इस पक्के समाज में कच्ची ही हूँ मैं।

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@kamakshikakkar
kamakshi kakkar
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@Guneet

the this one is a god poetry but mere hisab se copy ton me issues to apne tom todas work kro poitywasgodone and thank you।
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