Never Making assumptions again.
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interesting incident it s the log the bus me it s ट्वेंटी टू थर्टी सेकंड फ्रॉम द डेस्टिनेशन और मैं देखता हूँ बस के लास्ट में 1 बंदा बैठा हुआ जिसने एकदम टोटल ब्लैक संग क्लासेस पान मेंबर्स के अन्दर और वो बहुत ही रैंडम पैटन में इधर उधर देख रहा था ऐसा लग रहा था की वो ऑलमोस्ट न वो अपने कानों का इस्तेमाल कर रहा है चीजें देखने के लिए सो माई सेइंग मींस मैंने जूम कर लिया था कि बदला अंदा ही है क्योंकि जिस तरीके से वो देख रहा था और वो फिर खड़ा उठा और वो सीटों को पकड़ पकड़ के आगे बढ़ रहा था उस वक्त मैं सर्टन हो गया था कि हाँ भाई ये बंदा अंधा ही है और जैसे ही वो सीटों के पास पहुंचने लगा बस भी एकदम से रुक गई दरवाजा खुला और उसने फिर से अपना काम किया उसने राइट को देखा और मेरे को लगा की हिस ट्रैंक हीर के दरवाजा कहा पर वो मेरे पास आके पहुंचा अब मुझे सर्ट बंदा अंधा है तो मैंने उसको बोला बस भाई दरवाजा यहीं पर है यहीं उतर जाओ और उसने मेरी ओर देखा एंड इन दैट मूमेंट रलाइजkे और एकदम हारसी हरयाणवी बोलता है ोसडीकेहंदासोचरखे और पता नहीं मेरको सीरियस होना चाहिए था क्या होना चाहिए था पोलो जैसे करना चाहिए था पर मेरी हंसी छूट गई और कंडक्टर की भी हंसी छूट गयी और बंदी की भी हंसी छूट गयी बस फिर कुछ हस्ते सते।
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