Ek Dua….Simran ki Syahi se - shayari - 4
नमस्कार आदाब। मैं सिमरन फिर से आपके सामने हूँ। ईद के इस खूबसूरत मौके पर। 1 मेरी पुरानी नज्म पेश करते हुए उम्मीद करती हूँ आप पसंद करेंगे। रमजान की पहली शहरी पर। 1 दुआ मैंने मांगी थी। रमजान की पहली सहरी पर। 1 दुआ मैंने मांगी थी। खुशियों की बहार? नहीं। मुट्ठी भर। जिंदगी मांगी थी। खुशियों की। बाहर। नहीं। मुट्ठी भर। जिंदगी मांगी थी। खुदा को। मेरी दुआ पे, शायद रहम आया। इसलिए मेरी जिंदगी में प्यारा सा सनम आया।