शिकायतों का पिटारा
मैंने? लोगो? पर? इतना प्यार? जताया? शिकायते? की? क्यूँ? मैंने? दूसरों? को? खुद से? ज्यादा? शिकायत? ये कि क्यूँ सब मेरे लिए? इतना जरूरी हो जाते हैं? शिकायत? उस खुदा से? की। क्यों? लोग? ज्यादा इम्पोर्टेंट देने पर बदल जाते हैं? मुझे? लगता है ये जो शिकायत है? ये कॉमन? कॉमन? शिकायत हो गई? है? सब के लिए? कि? क्यों? जिस इंसान को हम इतना इम्पोर्टेंट समझते हैं? वो हमें 1 पल में ये फील करा देता है? कि नहीं? तुम्हारे लिए? भले ही मैं इतना इम्पोर्टेंट हूँ?
Jasmeet Singh
@Jasmeet2005 · 0:16
आपके द्वारा लिखी गई ये कविता बहुत ही अच्छी है। आंड उम्मीद करता हूं कि आप आगे ऐसे ही रिलेटेबल और अच्छी कविताएं लिखती रहेंगी। 11 शब्द कविता का इतना सही है? मैं बता नहीं सकता। धन्यवाद।