ऐसा दिखलाया था। दरु। ऐसा दिखलाया था। पुतना समेत। कई असुरों को। पुतना। समेत। कई असुरों को। निश्। धूल। चटाया। था। निशस्त्र धूल। चटाया। था। लाल। लाल। लाल। लाल। लंका को जलाने। व वाले। लंका को जलाने वाले। वेहनुमान की मशाल है। वे। हनुमान की मशाल है। जिसके चरनों को चूमती मृत्यु। जिसके चरनो। कुचुमतिहमृत्यु। वेही, प्रचंड। पत्र, काल। है। वे ही भद्र काल है। कल की का?
sandali gupta
@hasratemanzil · 0:46
जै श्री राम बिलाश जी आपने वाकई काफी काफी प्रेरणा दायक। और बहुत अच्छी कविता लिखी है। अब ये भगवान श्रीराम के ऊपर अच्छी कैसे नहीं होगी? लेकिन मैं खुद 1 पोयट हूँ और कविताएं लिखती हूं लेकिन कभी भी इस वी में नहीं सोचा था। आपने काफी प्रेरणा भी दी है। और आपकी कविता सच में बहुत बहुत ही भक्ति भाव से भरी हुई है। मतलब हर पंक्ति में आपने राम जी के स्वरुप का जो वर्णन करते हुए बताया है। काफी अच्छा लगा। जय श्री राम बस अगर छोटी सी दिक्कत। जो आपने शुरू किया था। न? थोड़ा सा। आपकी। आवाज लड़खड़ा आई थी।