नमस्कार दोस्तों, मैं आज आप सभी के सामने 1 कविता कहना चाहूंगी जो मैंने आज ही लिखी है और ये मैं अपने हसबेंड को डेडिकेट करती हूं तो ये कविता कुछ इस तरह है कि उसने कभी जताया नहीं हक अपना पर दिल के लिए। उससे बड़ा हकदार कोई नहीं, कभी मुझसे किया, नहीं कोई वादा। पर हर मुश्किल का सबसे बड़ा साझेदार वही नहीं आती। या दाकारी उसे इजहारे इश्क की पर उसकी आंखों से छलकते प्यार से गहरा मुझे समंदर भी लगता नहीं धन्यवाद।