मेरा घर

मेरा घर गंगा का किनारा हो, हरे भरे पहाड़ों के बीच सुरमय प्रकृति की गोद में हूँ मेरा घर भोर के उजाले में पंछियों के कलरव से छंटता अंधियारा भोर विभा उठ जाए लिए उनींदी आँख अंगड़ाई ले खिल उठे युवा रुपहले पाक सूरज की रश्मियां सूरज की किरणे अरगला खोले तो भर जाएं आंगन में उजाला सूर्य की किरणों के चुम्बन से हँसती खिलखिलाती गंगा की लहरें फिरे की कनियों से चमकती मन को लुभा जाए घर को बुहार दूं जीवन के संगीत से, घर को बुहार दूं जीवन के संगीत से छिड़ रहे जीवन के साज पर, प्यार की सरगम छिड़ रहे जीवन के साज पर, प्यार की सरगम धूप अपने पन की घर में बातें करें, धूप अपने पन की घर में बातें करें, झील मिलाते रेशमी पर्दे झील मिलाते रेशमी पर्दे, ये बोले खिड़कियों से बड़ा ही उम्दा है ये जो घर बार है तुम्हारा झील मिलाते रेश में, परदे ये बोले खिड़कियों से बड़ा ही उम्दा है ये जो घरबार है मेरा 1 चूल्हा, 1 आंगन, 1 सुख होमन के 1 चूल्हा, 1 आंगन 1 सुखहोमन के 1 दुख 1 आंसू हो सभी के, 1 प्यार से त्यौहार हो, 1 दुख हो, 1 आंसू हो सभी के और प्यार के सभी त्यौहार हो प्यार के सतरंगी धूप खिली रहे, पूरे घर आंगन में सांझ खिरे सांज घिरे घर लौट आये।

सुंदर स्वप्न,गंगा,सूरज # पहाड़,अपनापन,आंगन

Mukesh Dugar
@Mukesh_the_bull · 0:09

@NitaDani555

netaji, bhot a lite भी कहूँगा कि आपकी हिंदी भाषा पर पकड़ बहुत अच्छी है तो मेरी बधाई स्वीकार करें।