नमस्कार? दोस्तों। राधे राधे। मेरा नाम है मनीष। और मैं लिखता हूँ कहानी मौन रहने में? और मुस्करा देने में क्या फर्क है? भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं की मौन रहना और मुस्कुरा देना दोनों ही जो है। इंसान के लिए बहुत शक्तिशाली हथियार होते हैं। मुस्कान 1 ऐसी चीज है जिससे आप कई समस्याओं को बहुत ही आसानी से हल कर सकते हैं। और मौन रहकर के आप बड़ी से बड़ी समस्याओं को खुद से दूर रख सकते हैं। और वो कैसे मुस्करा देने से इंसान दूसरे को खुश कर देता है और उसकी समस्याओं को दूर कर सकता है।
राधे राधे? जय? माता दी। मनीष जी। और मेरा इस बात में मानना है कि कई बार मौन रहना सही भी होता है। कई बार मौन रहना सही नहीं भी होता है। अगर हम देख रहे हैं कि हमें कोई बार बार कुछ कुछ कह रहा है। सिर्फ मजाक मजाक में की? तो मजाक कर रहा था। मैं तो मजाक कर रही थी। तो मौन रहना ठीक नहीं है? क्योंकि जब कोई मौन मजाक की सीमा पार कर दे तब आपको बोलना चाहिए। और जब कोई बात कोई गलत करे तो आपको वहीं टोकना चाहिए? ताकि बात बढ़ ना जाए।
और किसी को सामने वाले को समझ नहीं आ रहा होता है। काफी कुछ बोलने के बाद भी। समझाने के बाद भी। और हमेशा चीजें एस्कलेट ही होती है। तो बेहतर है। खामोश खामोश। रहना। वक्त रहते? सीख जाना चाहिए। बहुत अच्छा जा रहे हैं। आप। अच्छा काम कर रहे हैं। और ऐसी तरीके से करते रहिये। बात। होती रहेगी। आप।
राधे। राधे। मनीष बहुत सुंदर बात मान और मुस्कुराहट पूर्णता सहमत हूँ। आपकी बात से। मौन रहकर विवाद को कम किया जाता है। और आपकी 1 मुस्कुराहट बहुतों के चेहरे पर मुस्कान ले। आती है। किंतु दुर्भाग्य ऐसा है कि हम अपने झूठे आडंबर से भरे हुए आक्रामक स्वभाव को मौन और मुस्कुराहट दोनों से दूर रखते हैं। वाद विवाद में हमें अपनी जीवा का प्रयोग करके प्रतिउत्तर देना है किन्तु मौन नहीं रहना है? मुस्कराना तो भूल ही जाओ। तो आपने बहुत अच्छी बात कही।